political bazar
Thursday, June 2, 2011
"बेशर्मी के ठेकेदार"
आज अगर ग़ालिब होता तो यही कहता " राजनीती ने इन्हें निकम्मा कर दिया ग़ालिब वरना यह जानवर भी थे काम के "
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