Wednesday, October 9, 2013

महामहिम प्रणब मुखर्जी जी ,

आप ने विदेश जाकर आधा अधुरा सच कहा, आतंकवादी जन्नत से नहीं आते सीमापार से ही आते है / क्या आप को मालूम नहीं था ?२००९ में जालंधर पुलिस ने बब्बर खालसा के पाच आतंकवादी युवको को गिरफ्तार किया जिनमे अलवलपुर का दिनेश कुमार नामक युवक ब्राह्मण पाया गया।
( http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2009-10-02/india/28061485_1_murder-case-team-of-rajasthan-police-terror-outfit )
मालेगाव ब्लास्ट का आरोपी स्वामी असीमानंद कहता है मालेगांव ब्लास्ट आरएसएस के प्रचारक इन्द्रेश कुमार के इशारो पर हुआ है और इन्द्रेश कुमार ISI का एजेंट है / ( http://www.mid-day.com/news/2011/jan/130111-Malegaon-blast-Indresh-Kumar-MI-RSS-leader-ISI-agent.htm )
थोडा सच और बोल देते तो कौन क्या बिघाड लेता ? आप तो आज ऐसे पद पर बैठे हो संसद से बहिष्कार का भी डर नहीं था /  अपनी देश में पनप रही आतंकवादी प्रवृत्ति पर क्यों चुप रहते हो ?
आतंकवाद पर कुछ तथ्य आपके सामने रखता हु /१९८४ में इंदिरा गाँधी की हत्या हुयी वह आतंकवादी वारदात ही थी । उसके बाद हजारो सिख समुदाय के लोगो का क़त्ल किया गया वह भी आतंकवाद की ही  देन थी । बदले में पुरे देश में आतंकवादी घटनाये बढती रही। खालिस्तानी दहशतगार्दियो द्वारा भी बेगुनाह लोगो की हत्या होती रही। इंदिरा गाँधी की हत्या के पहले और बाद भी पंजाब में और अन्य प्रान्त में आतंकवादी घटनाओमें बेगुनाह भारतीय मारे जाते रहे। लेकिन आतंकवाद थमने का नाम नही ले रहा था। हिन्दू धर्म के स्वयंभू ठेकेदार सिख समुदाय को हिन्दू धर्म का हिस्सा बताने में मशगुल थे और आग में घी डालने का काम करते रहे ,चाहे बेगुनाह सिख मरे या हिन्दू, सिख समुदाय के बेटियों के शुद्धिकरण विधि भी करते रहे।अपनी रोटी सेकते रहे।
लेकिन २५  जून, १९८८ को सिख आतंकवादियों ने पंजाब के मोगा शहर में RSS को टारगेट किया जिसमे आरएसएस के २६ स्वयंसेवको को मार गिराया और २२ स्वयंसेवक उस घटना में गंभीर जख्मी हुए।

१७ नोव्हे , १९९० को  किलानवाली में आरएसएस के ११ स्वयन्सेवकोको सुबह की परेड के वक़्त मार  गिराया।  इन दो घटनाओ के बाद अचानक प्रशासन सक्त हुआ और आतंकवादी घटनाओ में कमी आने लगी। १९९० के बाद सिख आतंकवाद समाप्ति की और दिखाई देता है।  सवाल  यह निर्माण होता है की इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद भी यहाँ का प्रशासन और राजनितिक जमात आतंकवाद पर काबू पाने पर कभी कारगर दिखाई नहीं देती वह  सिर्फ आरएसएस वालो की हत्या के बाद कारगर दिखाई देती है, प्रशासन भी सक्षम होता है और पंजाब में उसे हासिल भी होता है / क्या इसका जवाब यह हो सकता है की सरकार में भला कांग्रेस हो या बीजेपी , आरएसएस का जानमाल का नुकसान होता है तब इस देश को आतंकवाद के समाप्ति की जरुरत महसूस होती है/

अरविन्द निकोसे